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विकास दुबे मास्टरमाइंड  एक सुबह सो कर उठे तो पता चला विकास दुबे पकड़ा गया .. दूसरी सुबह पता चला विकास दुबे मारा गया ....अब वेब सीरीज आने का इंतेज़ार हैं ....लेकिन जो कहानी कानपुर पुलिस ने बताई है वो सावधान इंडिया और क्राइम पेट्रोल वाले भी अपनी स्टोरी में न ले....जो लोग 3 जुलाई से इस घटना को टी वी के माध्यम से देख रहे थे कि कैसे कानपुर पुलिस ने अपराधी विकास के साथियों को एनकाउन्टर में मार गिराया ...और यू पी पुलिस ने 5 राज्यों की पुलिस को अलर्ट कर दिया ...यूपी की सीमा पर चैकिंग ...लेकिन इन सब के बावजूद विकास कानपुर से निकल वहाँ पहुँचा जहाँ उसे जाना था...किसी को नहीं पता वो कैसे एमपी तक पहुंचा किन लोगों ने उसकी मदद की यहाँ तक पंहुचाने में ...और 2 जुलाई की रात किस ने उसकी मदद की कैसे की सब कुछ विकास दुबे के साथ चला गया ...कैसे बेगुनाह 8 पुलिस वालों को मार दिया .....क्या विकास को किसी का ख़ौफ नहीं था ....उसका डर उज्जैन में देखने मिला जिस तरह से विकास ने कहाँ ..मैं विकास दुबे हूँ कानपुर वाला... ये डर तब आया जब उसे पता चला जैसे उसके साथियों को मार दिया कही उसका भी एनकांउटर न हो जाए ..
  भोपाल विज्ञान मेला ......  भोपाल स्थित दशहरा मैदान में आयोजित विज्ञान मेला जो कि नए प्रयोग और टेक्नॉलोजी से भरपूर था। इस वर्ष विज्ञान मेले का  8 वां वर्ष था. मेले का आयोजन सीएसआईआर -एम्पी ,विज्ञान प्रसार ,अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ,नई दिल्ली और विज्ञान भारती भोपाल की ओर से संयुक्त रूप से किया गया। इसमें इंजीनियरिंग और मेडिकल स्टूडेंटो ने अपने प्रयोगों का एक्सीवुशन किया था साथ ही सरकार की योजनाओं का भी उल्लेख था ।  इस मेले में कई स्कूलों के बच्चे थे जो की साइंस मॉडल को विस्तार से समझ रहे थे ।                      मेले में आये हुए विभिन्न कॉलेज के छात्राओं जिनमें से इंजीनियरिंग के स्टूडेंटों ने बिजली बचाने ट्राफिक लाइट का नया सिस्टम तैयार किया था। इसकी खासियत ये थी की इसमें बिजली को  बचाने में मदद मिल सकती है इनके प्रोजेक्ट का नाम था ऑटो मेटिक स्ट्रीट लाइट कण्ट्रोल प्रोजेक्ट .. इसमें सड़क के निचे सेंसर लगाय हुए थे जो की स्ट्रीट ट्रांसफॉर्मर से जुड़े थे और गाडी के आने जाने के दबाव् से स्ट्रीट लाइट ऑटो मेटिक काम करने लगता और जिससे बिजली बचाई जा सकती।           कुछ छात्रों ने स्

नेलसन मंडेला

                                                  नेलसन मंडेला स्वतंत्रता के अग्रदूत  मेरी ज़िन्दगी की पहली बायोग्राफी है जिसे मैने पढ़ा.पढ़ने से पहले कई सवाल थे जिनका जवाब भी मिला मैंने कभी सोचा नहीं था कि भारत की नागरिक होकर मेरी पहली वायोग्राफी दक्षिण अफ्रीका के गाँधी की होगी।बाकई मुझे किताब पढ़ के पता चला की किसी की ज़िन्दगी में इतना भी संघर्ष हो सकता है की वह अपनी ज़िन्दगी के 2 दशक से भी जायदा जेल में बिता दे। मंडेला लोगो के लिए एक उदहारण है की जब आप एक अच्छे इंसान है और अच्छाई के लिए खड़े होते है तो आप जरूर सफल होते है मंडेला का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता है महज 9 वर्ष की आयु में ही मंडेला ने अपने पिता को खो दिया था